| दुकाल
                     प्रौढ़ भणाई अणपढ़िया घणकर अठै, दुमनौ भारत देस।
 प्रोढ़ भणाई ऊपरै, राज जोर हरमेस।।407।।
 अणपढ़ होयां जीवड़ौ, लाभ लेय ना ग्यान।
 थकां आंक रै आदमी, आंधा रै उनमां।।408।।
 पौसाल खोली परी, अकलदेण इतियाद।
 जौर भणाई ऊपरां,देश हुवां आजाद।।409।।
 अकल देय ौलाद नै, अनुसासण आपांण।
 दसा सूधरै देस री, प्रोढ़ भणाई पांण।।410।।
 करै भणाई आदमी, सुधरै घर परिवार।
 रिपियां क्रोड़ू राजरा, खरच होय इण लार।।411।।
 लाभ उठवै योजना, बोलै हक रा बोल।
 पढ़िया पट्टी पावड़ा, बजै ढोल ना पोल।।412।।
 प्रोढ़ भणाई कारणै, हापै करै हिसाब।
 लेण देण रौ देखलौ, लेवै कागद लाब।।413।।
 दिन रा करसण काम कर, रात भणाई जाय।
 लालटेन रै चानणै, आखर रा गुण गाय।।414।।
 गांवां गांवां खोलिया, केन्द्र भणाई प्रोढ़।
 लाभ उठावै लोगड़ा, कर कर केी कोड।।415।।
 सरकारी सामान नै, रखदै केई ताक।
 भरलै झूठी रजिस्टर, हाजरियां हकनाक।।416।।
 सूंक
 लाय लगै खोदै कुवो, पड़सी कीकर पार।
 व्है व्है काम न बगतसर, सजग कठै सरकार।।417।।
 राहत काज उडीक में, पूरौ बीतै पौस।
 सरू करण सरकार नै, अजै न आवै होस।।418।।
 रिसवतखोरा आज रा, अफसर नोकर एंेड।
 लेवण रा दस्तूर बिन, घरै न एकौ पेंड।।419।।
 आप आपरै एरियै, फेमिन सरू करांण।
 माचै नेतां मांयनै, तकड़ी खेंचा तांण।।420।।
 बापरसी उत विखरसी, सुलै धान सरकार।
 हरकोई मोको देखनै, चुगलै दाणां च्यार।।421।।
 नेता छेतर नांव में, बख रा अफसर लाय।
 पांती घूंस पडांण नै, खासा लेय खराय।।422।।
 नेकी अफसर नोकरां, हुवै हजारां हेक।
 रीझ्या बाकी रिसवतां, इणमें मीन न मेक।।423।।
 जायदाद साधन जमीं, खुद रा वेग बढ़ाय।
 आडैकट रिसवत चलै, खाडै देस खिनाय।।424।।
 भारत हंदै भवन में, लागी रिसवत लाय।
 रोवै सिर सै पकड़ नै, कोई नांय बुझाय।।425।।
 तनखा सूं धापै नहीं, मापै रिसवत माप।
 देस जतन रा दोयणां, बुरी लगाी छाप।।426।।
 देखौ भारत देस में, निकमौ रिसवत नेस।
 सलु रै साटै स्वारथी, बाढ़ै ओरां भेंस।।427।।
 चोरी होसी चोगणी, वधसी घण विभचार।
 नांव मिटैल न्याव रौ, दोलै रिसवतदार।।428।।
 नीत चोर व्ही नारियां, नरां कुजीवौ नूर।
 करबा आवै देनगी, कामचोर मजदूर।।429।।
 वियौ लखापत वाणियौ, ताकड़ में कम तोल।
 ससती चीज खरीद नै, बेचै मूंधै मोल।।430।।
 रिपिया में खावण करै, आठानां री आस।
 पनरै बरसां योजना, लागै बरस पचास।।431।।
 रामत बिगड़ी राज री, घाल्यो कानां तेल।
 केी रिसवत कारणै, फेमिन हुयगी फेल।।432।।
 आवासन मंडल सदन, रलै अणूंती रेत।
 चौमासै टप टप चवै, सूंक तणा संकेत।।433।।
 बेगी सड़कां टूटणी, पुलियां छात पड़ंत।
 बांध रिसै जल बधिया, पख रिसवत रौ पंत।।434।।
 ठागौ ठेकेदार रौ, घूंस झरोखा झुंक।
 छत पडियां लागै छतौ, कारीगरां कलंक।।435।।
 चावी खुलै न चोरियां, मिटै न तसकर मौज।
 मरै अलेखूं मानखौ, रिसवत सारू रोज।।436।।
 दारू टीकौ दायजौ, आपाधापी सूंक।
 भांत भांत री लागगी, दीमक भारत रूंख।।437।।
 ब्याव
 बात ब्याव री काल में, करणी चावै टाल।
 सोरेसासां सोरकौ, मिटणौ दोरौ काल।।438।।
 बापू संग्या बीगड़ी, लाग्या दुरभख लार।
 ऊखरड़ी धन धीवड़ी, वधतां लगै न वार।।439।।
 नाणां अर दाणां नहीं, पीवण जल ना कयो.
 मसकरियां में मांडिया, हांणी ब्यावां होय।।440।।
 आछै समा उडीक गत, हुई भाभराभूत।
 ठाम्यौ जोबन ना ठमै, पण धीबड़ियां पूत।।441।।
 कुटुम कबीलौ खोड़ली, सली अली हिक भाव।
 माथौ बो'रो मांडलै, (तो हूं) काल मांड दूं ब्याव।।442।।
 किणरै घ बेटी नहीं, निज हवाल बिसराय।
 बात बणता ओर री, लांपौ अवस लगाय।।443।।
 आयां जोबन पाणी, करै हरख मन कोट।
 दीठ पड्या मन मोहणा, जोबन अंग अबोट।।444।।
 जियां तियां जे मांड दै, काल मांयनै ब्याव।
 छाती छोलै दायजी, गहणौ करदै घाव।।445।।
 बुरचींता सोचै बुरी, खिपै बिगाड़ण काज।
 सैंणकेी सुधारलै, आणां टाणां आज।।446।।
 जीमण नै खाथा जिका, (बे) पाछा काम पड़ंत।
 धांडाई कर धापलै, उचकै चीज उचंत।।447।।
 मायरदारां मोकली, खेंचातांण कराय।
 चौकड़ दै फिर चेप व्है, माडै रकम धराय।।448।।
 कम छै यूं कांई करो, धुराव ब्याई राज।
 माड़ा भरिया मायरा, बेई बोले आज।।449।।
 देख्यां फोरौ दायजौ, लागै सुसरै लाय।
 समठ हुवां समठावणी, भचकै बींद रियास।।450।।
 सुनद्र सागै बीनणी, खरा गुणां री खान।
 देख्या सासू दायजौ, करिया ऊभा कान।।451।।
 परणी टीकै दायजै, धापै  मोसा खाय।
 बालै के तो सासर्या, के खुद ही बल जाय।।452।।
 मुकलावै कम उमर मे, मायत देवै मेल।
 काया घीव कलीजसी, भायां कोकल गैल।।453।।
 काची काया में करै, केल पीव घण चाय।
 मारग इसड़ै आंदगी, अणनूंती आजाय।।454।।
 कीकर टींगर सामलै, समै न खुद रौ जीव।
 बरसोदै जच्चा बण्यां, पछतासी घण पीव।।455।।
 रहसी सगली चीज रौ, आगौलगौ तुठार।
 जणा असंख्या बधोतरी, सोच हुवौ सरकार।।456।।
 करजा मांय कलीजगौ, पतहीणौ परिवार।
 कोकल बधियां कामणी,गईजमारौ हार।।457।।
 संग्या जीवण सुद्धरण, सीधै रसतै आव।
 नसबन्दी करवाय नै, धोरां नींद घुराव।।458।।
 परिवार कल्यांण
 आबादी बधिया अधिक, नरां देस नुकसांण।
 पैदा सारी ऊपड़ै, रहबै खेंचातांण।।459।।
 परमुलकां सूं मांगणौ, अन धन जिनसां और।
 घण आबादी कारणै, घर घर संकट घोर।।460।।
 जीवण संग्या बीगड़ै, घण आबादी लार।
 कमजोरी रै कारणै, आवण रोग तियार।।461।।
 नांय भणाई बालकां, ना गाभा ना आभ।
 कोकल बधियां कामणी, लखो न जीवण लाभ।।462।।
 रोवै कीं कीं रूसवै, कोई टसका लेत।
 कोकल बधियां कामणी, बिछणी वालौ वेत।।463।।
 जनसंख्या रा आंकड़ा, जावै ऊंचा कूद।
 सोचथयौ सरकार नै, लेसी जागां रूंध।।464।।
 नसबन्दी सूं डरपता, पैली पैली लोग।
 सजग हुवौ अब मांनखौ, जाय कटावण रोग।।465।।
 नसबन्दी राकेम्प में, लगै लुगायां लैण।
 आवै ओरूं आदमी, मेटण जीवण दैंण।।466।।
 खरचौ कम सांयत खरी, जीवण सुखिय जोय।
 मायत सोरा मोकला,जिण घर टाबर दोय।।497।।
 साधन घण सरकार रा, लाभ उठावै लोग।
 करौ भलौ परिवार री, जीवण सामुद जोग।।498।।
 मांदगी
 दाल बड़ी पापड़ बणै, घीणा जोग न भाग।
 तन निरोग रहवै कियां, ना लीलोती साग।।469।।
 वादी तन वध जावसी, बड़ियां पापड़ खाय।
 कबजी सगलौ रोगध, सांझ सवेर सताय।।470।।
 खोट दवायां वापरी, फल रिअंक्सन त्यार।
 डुले कमाी डागदर, लाग मरीजां लार।।471।।
 मिलसी जांणीकार ना, नाड़ी वेदज नांव।
 जोवण आछौ वेद नै, घूमौ सहरां गांव।।472।।
 खोल दुकानां बैठगा, माड़ा वेद हकीम।
 रोगी तणा इलाज मिस, जावै रोकड़ जीम।।473।।
 भोगी काया भूख तिस, जीव लटक जंजाल।
 वपु सत ढोलै बैठगौ, कर कर चिताकाल।।474।।
 खुद री पीड़ा मांदगी, लागै गिरि उनमांन।
 परबत सम परपीड़ नै, जांणै राई जांन।।475।।
 मरणा सूं छेली मिनख, बत्ती हुवै न बात।
 किरतब पूरौ करण नै, कमी न रख दिन रात।।476।।
 चंचल जीब चटोकड़ी, खावण डुलै अजेज।
 सेवन ओखद रै समै, पूरौ राख परेज।।477।।
 ओरां विपदा ऊपरै, साजै धीरप सीख।
 बात घरोघर बोतियां, लोपै हीमत लोक।।478।।
 परदूसण परभाव सूं, बणै चीज बेतंत।
 रोग नवा नित सालगै, डर इण सूं डरपंत।।479।।
 सांसौ काल सतावियां, पड़गा मांदा पीव।
 काया घण कुमलायगी, कर कर दोरौ जीव।।480।।
 आदत हुवण अलायदी, ना अजोगती बात।
 घटछोटा नर घाबरै, मन मोटा मुसकात।।481।।
 गाडी छकड़ौ गांव ना पालौ सकै न जाय।
 फोड़ा दाणां रा पड़ै, केंम इलाज कराय।।482।।
 पीड़ा रोगी पावणां, दवा जावणां दाम।
 समबंधी चिता सकल, घुर घुर देखै गाम।।483।।
 हेवा ओखद रै हुवां, हरजानौ ही होय।
 चूरम रीफाकी बिना, पलै न हाजत कोय।।484।।
 सरदा सारू जावतौ, राखै चिंतवन चाम।
 उटै मांदगी आवसी, राजी जितै न राम।।485।।
 राजी करियौ राम नै, वैग्यानिक विसवास।
 चेचक हुई अदीठ चख, जीवै टाबर जास।।486।।
 कठण इलाज तपेदिक, लाखूं मरता लोग।
 आज हुवौ कबजै अवस, भायां टीबी रोग।।487।।
 लूला खोडा बेवता, बालौ वेतां पांण।
 लारै पड़िया डागदर, नारू रोग नसांण।।488।।
 सीगै इलाज सांवठौ, करै खरच सरकार।
 फुरतीला नर फायदौ, समझ सतावी सार।।489।।
 सेंदरुप भगवान सा, सरजन बड समियांण।
 मरत जीवावै मानखौ, करामात बुध पांण।।490।।
 मोसर काल जमानौ जोय नै, कदै न आवै काल।
 अकसमात सिर आपड़ै, अणनूं त्यौ ओटाल।।491।।
 सुणै न टाबरियां टसक, मोलापण मोटयार।
 तकलीफा बूढ़ै तणी, करै न काल गिनार।।492।।
 बूढ़ापै रुज मौत सम, लागा सेंसू लार।
 उडगी तनतज आतमा, उतर गयौ भव पार।।493।।
 गुजर करणी नांही घरै, सरतन सांझ सवेर।
 मायत इसड़ा में मुवां, लगै कड़ूंबो लैर।।494।।
 परबारी ही पूगगी, बो'रा रै घर भीड़।
 माडै मोसर मांडतां, कांई आंनै पीड़।।495।।
 दाणां लावण ना दियौ, रिपियौ एक उधार।
 नाणां मौसर नांव पै, दीना बो'रो आ'र।।496।।
 सातर वाड़ै घर घणी, घाल्यां बैठौ घूब।
 मौज उडावै मानवी, खवणखंडा खूब।।497।।
 अमल चाय अर बीड़ियां, पीवंतां घणपेख।
 सोरा हुयगा सारला, दोरा ऊपर देख।।498।।
 'पट्यां' करण उतावणा, 'कांकड़' मांडै केक।
 लेणौ मौसर लेवतां, रहसी दोरी टेक।।499।।
 मारवाड़ रै मांयनै, चम्मालीसै काल।
 केई करिया कांकड़ां, पट्यां रा पंपाल।।500।।
 घोदै घणा गिनायतां, बणिया ब्याई जोग।
 पोची कर पैरावणी, मती हंसाई लोग।।501।।
 खोद्यौ करजै कूप नै, तेवड़ मौसर तौर।
 पैला तो खुद ही पड़ै, (पछै)पटकै ब्याई और।।502।।
 लहणौ मौसर नांव रो, हुवां पचास हजार।
 हालीपौ करसी हवै, ओरां पै मोट्यार।।503।।
 आवै सदी इकीसमी, अबतौ तोड़ कुरीत।
 मारवाड़ सूं मौसरां, परी उठावौ प्रीत।।504।।
 तिंवार
 सुसती तन मन संचरै, आवै केम उमंग।
 दीवाली फीका दरस, झूंझां दुरभख जंग।।505।।
 ना अन चारौ वापरै, खाली खट्ट मकान।
 साफ सफाई सदन री, कर दीनी भगवान।।506।।
 पोतां कांई भींतियां, कोरां किम चितराम।
 मंड्या पगल्या मालवै, सूना रहसी घाम।।507।।
 अबै दिवाली आयगी, काल किया बेतंत।
 फाट्योडा गाभां फिरै, कामण टाबर कंत।।508।।
 बोकै टाबर बेसमझ हटी फटाकां हेत।
 काल फटाकौ फूटगौ, बलगी फसलां खेत।।509।।
 इब लिछमी के पूजणी, पूग्यां दालद पास।
 काल जठे कीकर हुवै, रम्भा रौ रैवास।।510।।
 दो दोजोया दीवट्या, दीवाली दरसांण।
 काल दुस्ट डग डग हंसै, कूक रया किरसांण।।511।।
 रहगी मघसी रोसनी, काल अंधारौ छाय।
 दीवाली रा दीवट्यां, तप सपणौ ही ताय।।512।।
 बड़ा हुवै किम मोठ बिन, तिल बिन तेल न हात।
 मोटा दिन मरुधर करण, आय गई सकरांत।।513।।
 मांझौ ढीलौ मरुधरा, पेच लड़ण न वंग।
 जचै जदै ई ईढ़ जुत, काटै काल पतंग।।514।।
 भूखा पैला ही मरै, क्यूं न करै सिवरात।
 सराजां सैगार री, भूल करी मत बात।।515।।
 ढोली ढोल बजावतां, चमकै काल करार।
 गुम सुम डंड्या गेरियां, फीका फागणचार।।516।।
 गुजर करण बारै गया, दुरभख में मोट्यार।
 बूढ़ां रा पग बावला, उठै न बाजै लार।।517।।
 खोदी वाढ़ी खेजड़ी, आ रोषी अंगोर।
 होली नै मंगलायदी, साईना रै सोर।।518।।
 लांपौ होली लागतां, उठै झाल आकास।
 दिखणी जायां काल दिस, ओर दिसां भल आस।।519।।
 ओलावा मायत अनै, टाबर कनै न टाल।
 कियौ रंग बदरंग सै, दुसमी आय दुकाल।।520।।
 जोवै लील दौबड़ी, फिर छोर्यां चौफेर।
 गीत चलै गिणगोर रा, एकण साथ उगेर।।521।।
 कियां कढ़ीणौ काढ़णौ, दाणां हीणौ गेह।
 सीली रहगी सीलका, काल उडावै खेह।।522।।
 अड़ियोड़ा काठा अवस, रयाजीव नै झींक।
 गोर्यां रही गवाड़ में, ईसर पोल उडीक।।523।।
 तन गहणौ ना तरुणियां, मेंदी फीक मिजाज।
 घरां गताधम गौरियां, तीज दुखी सिरताज।।524।।
 मेला
 मेला मोला काल में, फीका तीज तिंवार।
 चावा मेला चौखलै, हालत लहौ निहार।।525।।
 मेलौ भादव वद पखै, 'परबतसर' रै मांय।
 बिकण मवेसी मरुधरा, आंतरला आ जाय।।526।।
 आय न सावण उतरतै, सांडाऊ बरसात।
 कर सुरपुर नर कालरी, हांणी तेड़ै हात।।527।।
 आभौ फीकौ आंततां, तारां तेज न भाल।
 भाव लेवालां बदलिया, दुमना छै देवाल।।528।।
 केई ससती कूंत कर, नार्या रह्या निकाल।
 मन रा चाया भाव में, लाभ लियौ लेवाय।।529।।
 बलदया ओठा बावड़ै, समझ तणी तन सीर।
 गोगा रा घर ढूकगा, खावण सेवां खीर।।530।।
 पड़ी छांट ना भदवै, जाजम काल जमाय।
 परबतसर मेलै पसु, बिनबेच्या पछताय।।531।।
 डीडवाणिया डांगरा, मेले घम चख मांय।
 आंतरला कम आवसी, काल न भाव जमाय।।532।।
 अणगिणती रौ मानखौ, रामदेव रै जाय।
 बाबा रा करबा दरस, काल मांय कम आय।।533।।
 जोवौ मेलौ झोरड़ै, जबरौ मिनखां जोग।
 हरीराम बाबै दरस, करै काल कम लोग।।534।।
 गुरु गुंसाई सेवना, महिमा अदगी भाल।
 जुंजालै रा जातरी, फीका रहिया काल।।535।।
 ऊतरतै आसोज मा, रचै ओसियां रूप।
 मेलौ भरै मवेसियां, डरै काल री हूप।।536।।
 गिणत जगत तीरथ गुरु, पोकरजी परधान।
 मेलै आवै मांनखौ, कोड़ी दल उनमांन।।537।।
 दाणां नाणां ना घरै, उत भगती न आय।
 रास रमंतां कालरै, कुण पोकरजी जाय।।538।।
 घाया नै सूझै धरम, जावै तीरथ जेठ।
 भजन करण देवै नहीं, पापी भूखौ पेट।।539।।
 मेलौ जबर मवेसियां, नागमौ घणमांन।
 ऊंट बलद पाडा असव, खरा गुणां री खांन।।540।।
 नागौरी बैल्यां नसल, स्वालखिया मासूर।
 धोला बैल्यां रौ घणी, गडका करतौ नूर।।541।।
 गुमसुम डेरा गाडियां, फेर हताई फोक।
 धाम्यां ससती धामणी, मालिक रहियौ झींक।।542।।
 पसु चारानी आविया, मेलै थाी मोल।
 फगत उठावै फायदौ, काल वौपारी टोल।।543।।
 उतरादी ठंडी हवा, घालै मिनखां घाव।
 मेलै घांसै मांनखौ, धूजै सरदी द्राव।।544।।
 ऊभलिया छमका कठै, कठै चकाचक रोट।
 बुझगी चूलै बासती, फुरकै चायां होठ।।545।।
 तांती फेरण तेवड़ै, गुदड़ी जाय घुमाय।
 बेच्या ससता भाव में, सेवट बैल्या जाय।।546।।
 मीरां वालै मेड़तै, चैत उतरतै आय।
 भारी मेलौ भायलां, फीकौ काल कराय।।547।।
 पंचायती राज
 नेहरू आछी नीतड़ी, जोरां दीधौ जौर।
 कर पंचायत राजरौ, श्रीगणेस नागरौ।।548।।
 मिलजुल रहसी मांनखौ, वलगत करण विकास।
 पंच गांव नै पोखसी, एड़ी कीधी आस।।549।।
 पास करा प्रस्ताव नै, लाग राखसी लार।
 नीका काम करावसी, सिरै पंच सरकार।।550।।
 आसा पूरी ना हुई, उलटै पासौ पूर।
 रत पंचायत राज में, नेकहीण घण नूर।।551।।
 सबलां दारू दाम दै, निबलां आंख दिखाय।
 बोट कबाड़ण बायड़ी, हथकंडा अपणाय।।552।।
 पालै पारटियां पखौ, सरपंचां छिग छांव।
 रात दिवस दुसमी पणौ, बढ़वै घर घर गांव।।553।।
 समरथियां सागै बहै, दुबलां नै दुख देय।
 रे पंचायत राज में, लांफा मौजां लेय।।554।।
 विरोधियां रै वासतै, आडी पंच लगाय।
 अपणै पालै आवियां, पूरौ लाभ पुगाय।।555।।
 पांचूं घी में आंगल्यां, पड़ियां काल दुकाल।
 कारज राज करावतां, टोटी करै न टाल।।556।।
 रे पंचायत राजवस, गांव गांव पौसाल।
 पढ़बा आय पढ़ेसरी, सदा जमानै काल।।557।।
 पौसालां रै वासतै, भवन बणाया राज।
 घेरी भींतां इण हदप, जण रुजगारी साज।।558।।
 टांका होदी सांड घर, टूंट्यां घर घर जाय।
 पंचायत रै मारफत, कारज राज कराय।।559।।
 चिंता गांव विकास री, हिलमिल जीवण साव।
 पंचायत रै मारफत, नाडी खुदै तलाव।।560।।
 वोट करायां बगतसर, मतदाता घण कोड।
 पालै पंच जीतावणै, माचै होडा होड।।561।।
 रुप पंचायत राज रौ, दोरौ बणसी देस।
 बापू नहेरू भावना, सुफल नही लवलेस।।562।।
 चुणाव
 राजतंत्र नै निंदता, लोकतंत्र नै खाय।
 भायां भूत भगाय नै, दिया पलीत जगाय।।563।।
 बरसोदै ही आ पड़ै, छोटी मोटी छांव।
 भारत घाटै भेलियौ, अदबिच तणा चिणांव।।564।।
 लाचारी मूंडै लियां, मांग बोट री मोय।
 अबार बणिया आपणा, जीत विडाणा जोय।।565।।
 घणामूंघी चिणावगत, रोकड़ रया उछाल।
 मोटां सूं चंदो मिल्यां, कसर काढ़सी काल।।566।।
 मतदाता दामां मरै, बिक जावै अद बीच।
 लोकतंत्र सर सूखियौ, रहियौ कादौ कीच।।567।।
 गरजी ना अरजी सुणै, फरजी नेता फूड़।
 दीखै उडती देस में, (अबै) लोकतंत्र री घूड़।।568।।
 लचकपणौ नेतां लियौ, बिगड्या सासण भाव।
 बोट बटोरण भावना, ना नीती ना न्याव।।569।।
 घोट विरोधी देवतां, आडा ऊभै आय।
 हुवां बरोबरिया झपट, संगीना तणजाय।।570।।
 चौड़े हैवु चुणाव में, फरजीवाड़ौ आय।
 रखवाली कुण राखसी, बाड़ खेत नै खाय।।571।।
 लोकतंत्र री वेलड़ी, वधती भारत कूंत।
 फूलै अर गहरी फलै, निगैदासती हूंत।।572।।
 देखां चढ़ता उतरता, सासन आसन सांन।
 लोकतंत्र में रेवसी, मतदाता रौ मांन।।573।।
 सासन सजग चुणाव में, खेरोई ना खोट।
 मन मरजी सूं देवणा, लोकतंत्र में बोट।।574।।
 गांव गली मा देवतां, देखौ मत-अधिकार।
 पंच विधायक सांसदां, जण जण सिरजणहार।।575।।
 लोकतंत्र री वजगत में, पेठ जमाई पूर।
 अपणै भारत देस री, रीत चुणाव मसूर।।576।।
 काल काल में काल छै, देस दुकालां दाव।
 कमर तोड़दी देस री, अदबिच तण चिणाव।।
 नसाबाजी
 दुरविसनी इणदेस में, दिन दिन बढ़ता देख।
 हांण घरां लोकै हंसण, उपजै विपद अलेख।।578।।
 रांचै गाभां रोटियां, टाबरियां री टोल।
 बाप नसा में बेफिकर, घाटौ रहियौ घोल।।579।।
 टुकड़ा मिलै न टेमसर, काय लगी कुमलांण।
 कामण जीवत कंत नै, रोवै बैठी लांण।।580।।
 हाथां बोतल हांडतौ, बकतौ बीच बजार।
 घर बड़तां घण रै गलै, रालै गाल्यांहार।।581।।
 काल पड़ौ भूखां मरौ, द्राव सहित परिवार।
 दारुड्या भूलै कदै, दारू री दरकार।।582।।
 काया बिगड़ै सिर करज, जलम अकारत जाय।
 अमल खायनै हाथ सूं, लांपौ घरै लगाय।।583।।
 गाजां भांगां में घणां, गेलीजै चख गीड़।
 माली हातल री फसल, चट करजावै तीड।।584।।
 अजब नसा घ आयगा, हेरोइन रु हसीस।
 मारग ऐ छै मौत रा, मिनखां विसवावीस।।585।।
 चरस पीण माड़ौ चरस, धरियौ धनिकां हेत।
 करै फिकर ना काल रौ, बिगड़ र्या बेचेत।।586।।
 चिलमा चासै चाव सूं, घण जण बैठा गांव।
 सिगरेटां पीवै सपट, दुख देसी दरसाव।।587।।
 करै आज घर घर कितौ, नसौ मिनख रौ नास।
 हुवौ बारानी मांनखौ, देख नसा रौ दास।।588।।
 रोलारम्बाद
 पग पग मालै ईसकौ, ईढ़ रखावै और।
 धरम जात खेतर धरा, लड़ै मांनखौ ठौर।।589।।
 सद मारग तो भूलगा, पड़गा खोटै पाथ।
 बुधचख पाटी बांध नै, रलापिरै दिनरात।।590।।
 भिड़कारण दंगा मुलक, फट अफवा फैलाय।
 तुसमी खोटा देस रा, पग पग लाय लगाय।।592।।
 डरै न मिनखां मारता, आतंकवादी आज।
 अजै हुवौ सरकार सूं, आंरो न को इलाज।।592।।
 ना कोई वांरौ धरम, ना वांरी कीं जात।
 दंगा रोलां में रखै, जोर नर आगै हात।।593।।
 रया दुखी मन जल बिना, दुरभक पड़ियौ देस।
 रोलागार बगत ईं, चूकै ना लवलेस।।594।।
 मिन्दर मैजिद द्वारुगुर, धती पावन धाम।
 मरै मिनखा आं नांव पै, धरम करण बदनाम।।595।।
 मिनख मारियां सूं हुवै, कदै न पूरण आस।
 फाकी चढ़िया केण री, नर तन करबा नाम।।569।।
 सुलै करण मारग घमा, रजामंद घण रीत।
 संगीनां सूं सावगी, उठजासी घर प्रीत।।597।।
 मार मिनख बैमौत ऐ, बणिया मोटा काल।
 लारौ कीकर छूटसी, दंगै तणै दुकाल।।598।।
 चाकरी
 आवै काल इकांतरै, तीजै करै न टाल।
 मरुधर हंदां मानखां, काया करिया काल।।599।।
 मानसून देवै दगौ, रही कमी रुजगार।
 चाल्या करबा चाकरी, परदेसां मोट्यार।।600।।
 देतां आची देनगी, लखी विदेसां लोग।
 जांण विदैसां मांनखै, जबरौ बणियौ जोग।।601।।
 करण कमाई कर कियौ, सउदी अरब पयांण।
 केी जाय कुवैत में, आछौ खांण कमांण।।602।।
 आयी कैयां रै अठै, आडी विखै इराक।
 ओलग करै इरान में, रस रोकड़िया चाख।।603।।
 विवस रुखालै वाड़ियां, एवड़ कई चराय।
 लीद असव री न्हांखनै, नांणौ मिनख कमाय।।604।।
 घसकां रालै धापिया, गडकै बात गरुर।
 ओछा कामां ऊतरै, भूखौ मिनख जरूर।।605।।
 लाय कमाई बारली, जबर जमाई पेठ।
 घाटौ घर सूं भागियौ, जोवौ रिपियां जेट।।606।।
 करै विदेसां चाकरी, लोगां जीव लगाय।
 जमीं खरीदी आयनै, सिर रौ करज चुकाय।।607।।
 पढ़िया लिखाय गुणीजन, करै विदेसां काम।
 जीवणस्तर सुधारबा, दपट कमावै दाम।।608।।
 जोवौ दिल्ली आगरै, परदेसां भरपूर।
 मील फैक्टरी मांयनै, मरुधर तणा मजूर।।609।।
 मिलवै सहरां मांयनै, मूंघा घणा मकान।
 सड़कां सारै सोवणौ, माथै छत असमांन।।610।।
 नाली में हालीपणी, करै काल रै काज।
 ईंटां भट्टा ऊपरै, सहै देह री हाज।।611।।
 दोरौ घमौ कमावणौ, सिर परसेवौ सेण।
 पूगै बो जद पगतली, टसकै थाक्यौ रेम।।612।।
 सरकारी सराजाम
 लारौ काल छुडांण नै, सासन करै कलाप।
 आवै नहीं पजाव में, थलां मारतौ थाप।।613।।
 रोपै पग पग रूंखड़ा, हरियाली रै हेत।
 हरियाली सूं होवसी, आछी बिरखा एथ।।614।।
 रुंख रोप रुंखावली, मांडै सड़कां मेल।
 रुजगारी रै साथ में, होसी बिरखा भेल।।615।।
 पीवण नै पांणी नहीं, ना दामई ना गांव।
 उतै राज ऊगाविया, छिता करण द्वुम छांव।।616।।
 हरियाली मरुधर करण, जोर जतन कर कूंत।
 सैबासी सरकार नै, हूं देवूं दिल हूंत।।617।।
 नदियां सूं नहरां करी, पांणी थलां पुगाय।
 हरियाली पूंगल हुई, गुणजन सासन गाय।।618।।
 मरतौ तिरसां मानखौ, थोथै थलवट थार।
 जल जैसांणै पूगियौ, करामात सरकार।।619।।
 टाकां हित करजौ दियौ, सबसीडी रै साथ।
 लाभ उठावै लोगड़ा, पांणी पीवण पाथ।।620।।
 होदी सरकारी हुई, पांणी टूट्यां पांण।
 उत मोकल जल री अठै, जांदा पैली जांण।।621।।
 न्हावौ धोवौ मोकला, साफ सफाी सार।
 गांवां सहरां खोदिया, हेंडपम्प सरकार।।622।।
 दो दो फसलां लैंण हित, करज राज दै कूप।
 डर कम होसी काल रौ, बणसी करसौ भूप।।623।।
 करजौ आछौ राज दै, नल कूपां रै नांव।
 कनेक्सन बिजली तणौ, देवै ढाणी गांव।।624।।
 पांणी जठै पताल में, कूप राज खुदवाय।
 भय भांजण घर काल रौ, सद सरकारी राय।।625।।
 वणै योजना मोकली, खरचै रोकड़ चाव।
 पांणी आछौ पीण नै, गलियां सहरां गांव।।626।।
 हारी बैमारी हुवां, पूगण राज तयार।
 अन जल बिन मरसी न जण, साधन घण सरकार।।627।।
 आंख मींच सरकार नै, (केई) दोस देय नर नार।
 देखै जिसड़ी दाखवै, सांचौ साहितकार।।628।।
 उपाव
 खेतां कूप खुदायलौ, रोपौ पगपग रूंख।
 काल सहज होसी कबज, मार सकै ना फूंक।।329।।
 दो दो फसलां बरसहिक, लेवौ वेरां लार।
 पांणी रै परताप सूं, बधसी पैदावार।।630।।
 हरियाली आछी हुवां, आछी बिरखा आय।
 एक पंथ दुय काज छै, साधन बढ़ै सवाय।।631।।
 बिजली तणा कनेक्नस, वेगा देवी कूप।
 आमद करसां राज रौ, दीपक जासी जूप।।632।।
 सरु करौ सरकार रा, नवा नवा उदियोग।
 मिटजासी इण कारणै, बेरुजगारी रोग।।633।।
 पड़ै दुकाल इकांतरै, रसतौ रिपिया जांण।
 बाढ़ करै आयै बरस, क्रोड़ां अरबां हांण।।634।।
 जल गंगा जमना तणौ, लावौ मरुधर मांय।
 रोग बाढ़ मिटजावसी, नैड़ौ काल न ाय।।635।।
 बंजर भूमो मांयनै, रोप बोरड़ी रूंख।
 आछी बोरां री उपज, मोकौ भूल न चूक।।636।।
 लूटाखोसी मच रही, सजग कठै सरकार।
 भारत हात सुधरसी, मिटियां भ्रस्टाचार।।637।।
 हेत देस राखौ हियै, नींस्वारथ रै साथ।
 भायां व्हौ पुरसारथी, बणसी सारी बात।।638।।
 सेवा करणी भूलगा, देस बढ़ावण भार।
 (क्यूं) भायां दिन दिन बढ़ रह्यौ, राजनीत व्यौपार।।639।।
 बापू तणा विचार नै, दियौ केंम विसराय।
 (क्यूं) रिपिया क्रोडां ऊपड़ै, मंत्र्यां स्वागत मांय।।640।।
 आमदग कम खरचौ अधिक, घाटौ बजटां पेस।
 ऊपरलौ पानौ कियां, आसी भारत देस।।641।।
 दिन दिन पड़तौ देखलौ, मिनखपणा रौ काल।
 भायां जै चावौ भलो, त्याग धाप मग भाल।।642।।
 सोरौ खुद रौ सुधरणौ, दोरौ ओरां जांण।
 आपौ आप सुधार कर, देस जात औसांण।।643।।
 आकरा आखर
 मन मांही राखौ मती, बोट कमावण पीक।
 खरचौ करौ चुणाव कम, आ नेतां नै सीख।।644।।
 राम भरोसे बैठ मत, राख काम में जीव।
 पुरसारथ रै पाथ मे,ं दीपै सामुद्र दीव।।645।।
 जीवण रस कम जांणवै, धरा परापत धेय।
 पुरसारथ रै पाथ सूं, लोकतणौजस लेय।।646।।
 खुद तो आनी खरचतां, न्हांखै घणा निसास।
 इसा पड़ै क्यूं आखता, खावण ओरां खास।।647।।
 बातां में खाथा वहै, हाथां काम न कोय।
 भविस तिकांरौ भायलां, अंधकार नै टोय।।648।।
 कोई टांणौ काढ़णौ, दामां रो गत देख।
 करजौ करियां पूतकुल, बिगड़ै जीवण भेख।।649।।
 जायदाद बोलायदी, कर करजौ आकूत।
 बो मायत मायत नहीं, जो वाढ़ै पगपूत।।650।।
 काज करंता राखसी, नर चंगा नेठाव।
 चुगल मसकरां आडुवां, खेरोई न खटाव।।651।।
 मांड हथेली मांगणौ, सहज किनै स्वीकार।
 मरतां भूखौ मानवी, देवै हाथ पसार।।652।।
 जावक जावण रौ कहै, हुवै न नीचौ हाथ।
 मिल धुतकारण मंगणां, पकड्यौ मिनखां पाथ।।653।।
 जायदाद अर जिसम रौ, मत कर गरब गुमांण।
 थिरा ूपरै नांय थिर, अस्त हुवै आपांण।।654।।
 सुख री कीमत दुख थकां,दुख सुख जग दरियाव।
 वाजै जिणदिस वायरौ, उणविध लहर बहाव।।655।।
 जरुतर वालौ फाड़ चख, जोतौ रहवै बाट।
 बिना जरूरत बगस नै, हांसी विधना हाट।।656।।
 पार काल कीकर पड़ै, बैठ्यां मुरड़ी मार।
 लाय सांकड़ै लागियां, वेग उपाय विचार।।657।।
 आई माड़ी बगत बि, सांची सुणै न सीख।
 भौतिकवादी भायला, लोपै जग री लीक।।658।।
 खातां पीतां खरचतां, खड़तां राख खटाव।
 उंतावल में आदमी, फसवै उलटै डांव।।659।।
 जूनौ नवौ साहित जग, खोद उकेरौ खास।
 सिरजण पैला मन सुकव, चितन दिवलौ चास।।660।।
 हालत देख समाज री, जांण देव मत झोल।
 कांटो कांट कवेसरां, कलम ताकड़ी तोल।।661।।
 माड़ी हालत मुलक री, अधिक थयौ उतपात।
 सूतां साहितकार रै, बणसी कीकर बात।।662।।
 कथनी करणी फरक घणा, राखै सिरजण राज।
 झुकतै चेलै बैठियां, अद नीं साहित आज।।663।।
 आगै नाजोगा हुवै, जोगा लारै जांण।
 जोर जमाई जाजमां, पखापखी रै पांण।।664।।
 हूनर देख हवेलियां, छानड़ में मत छीज।
 करम धरम आछा कियां, राम करेला रीझ।।665।।
 हक नारी नै हते सूं, दियां बरोबर लाभ।
 कायी करियां कामणी, ऊतरसी कुल आभ।।666।।
 पालौ मांडौ प्रेम रौ, खेल नांव रख दाव।
 पांती आया भीड़ियां, रमतां सबर रखवा।।667।।
 पढ़ण आथड़ै अड़वड़ै, घमा साहित असलील।
 सद साहित अलमारियां, जांणै दीनौ कील।।668।।
 सुख रा सीरी सांकड़ै, अलगा दुख री दाज।
 सुख दुख में रह एकसा, इसड़ा विरला आज।।669।।
 कांई लेवै आपसूं, फल बिन स्वारथ देय।
 तरवर जीवण प्रेरणा, मिनख भला हो लेय।।670।।
 आदरा ओरां दे अवस, भूल मती निज मात।
 भासा मायड़ भूलियां, वणै न पूतां बात।।671।।
 राजस्थानी मांण सूं, ना हिन्दी नै हांण।
 भायां करै विरोधिया, झूठा रोला जांण।।672।।
 पन्ना 9   |